चलते चलते रुकते रुकते, अंतिम पल में झुकते झुकते वो रोक रोक कर टोक टोक कर, पाठ सत्य क चलते चलते रुकते रुकते, अंतिम पल में झुकते झुकते वो रोक रोक कर टोक टोक कर, ...
दादाजी की बात थी बहुत निराली एक भी दिन उनका जाता ना खाली, देते थे सब को वे सीख सुहा दादाजी की बात थी बहुत निराली एक भी दिन उनका जाता ना खाली, देते थे सब क...
रविवार का दिन था वो रविवार का दिन था वो
आज भी हँसी आती है जब स्कूल की पहले दिन की याद आती है, बड़े उत्साह और उल्लास के मिश्रण आज भी हँसी आती है जब स्कूल की पहले दिन की याद आती है, बड़े उत्साह और उल्लास ...
जहां आज सन्नाटा सा पसरा हुआ है कभी वहां कई जिंदगी बसा करती थी। जहां आज सन्नाटा सा पसरा हुआ है कभी वहां कई जिंदगी बसा करती थी।
आलू का दादा हूँ पत्तों से भरी हूँ आलू का दादा हूँ पत्तों से भरी हूँ